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खुशियों का पिटारा..

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आज मैंने बचपन का पिटारा खोला, बड़ा ही अनमोल था वो खजाना खोला, पुराना कुछ सामान यादों की तह खोलता, मुझको वापस अपने प्यारे बचपन से जोड़ता, गोल गोल छेद वाले कुछ पुराने सिक्के, कुछ पुराने टिकट इक डायरी में चिपके, कुछ फूल पत्ते जो मैंने तब सुखाये थे , ख़ुशी के वो पल जो बचपन में चुराए थे, डायरी में लिखी चंद शायरी और गजलें... कुछ पुराने स्टीकर बबल गम में निकले, रंग बिरंगे कंचे , शंख और सीपियाँ , मोतियों से भरी छोटी सी एक डिबिया, और न जाने कितनी यादें हुयी ताज़ा, माँ की कहानियां और कितने रानी राजा, आज बड़े की चाह में छोटा सुख हमे नहीं भाता, बचपन सा जीना हमें अब क्यों नहीं आता...                                                                              mamta